Consistancy से काम करे

 [  ]  एक नेटवर्कर को सफल होने के लिए  लगातार काम करते रहना होगा । यानी कि consistancy सफलता का राज है।





 Networker को ये  नीचे दिए कामअसफलता दिलाते हैं

[  ] जब मूड हुआ फील्ड में चले गए, जब मूड नहीं हुआ, घर में बैठकर या टीवी के सामने बैठ कर टाइम पास करते रहे। जब दिल करा या कुछ जरूरत महसूस हुई, तो अपलाइन या डाउनलाइन से बात कर ली . नहीं तो कई-कई दिन तक ना अपलाइन से सम्पर्क . ना डाउनलाइन से सम्पर्क : कई लीडर्स तो इतने आलस में आ जाते हैं कि फ़ोन भी नहीं उठाते हैं। कोई छोटा-मोटा लेवल आता दिखाई दिया या क्लोजिंग वाले दिन टीम की संभाल कर ली, वरना पता ही नहीं होता है, टीम कहाँ है और क्या कर रही है।

[  ] निरंतरता इस बिज़नेस में बहुत जरूरी है, आलस या बहाने इसमें चलेगा ही नहीं । कभी काम कभी आराम वाली स्थिति बहुत खतरनाक होती है ; पर बहुत से लोगों को इस स्थिति के दुष्प्रभावों का पता ही नहीं होता है। चाहे थोड़ा-थोड़ा काम करो, पर लगातार काम करो। छोड़ के मत बैठो । जब आप कुछ समय आराम करने के बाद फील्ड में निकलते हो, तो आपकी बहुत सी ऊर्जा ऐसे ही फ़िज़ूल में जाती है। आपको शायद पता नहीं होगा, बार-बार शुरू होने में कितनी ऊर्जा खर्च होती है। इसे हम एक उदाहरण से समझाना चाहेगे-

स्पीड से आती हुई किसी रेलगाड़ी को देखना। उसके इंजन से आपको कोई धुंआ निकलता नजर नहीं आएगा; पर जब वो रेलगाड़ी स्टेशन पर 2-4 मिनट रूकने के बाद चलने को तैयार होती है तो स्पीड पकड़ने के लिए व स्पीड पकड़ने तक कितना सारा धुंआ इंजन से निकलता है। इसका अर्थ यह हुआ कि लगातार चलने से धुंआ नही
निकलता है, बल्कि रुक कर चलने से धुंआ निकलता है। यही काम बहुत से लोगों के साथ होता है जो लगातार काम नहीं कर पाते हैं या कभी कर लिया, कभी छोड़ दिया, वाले होते हैं। उनको पता ही नहीं होता है कि बार-बार स्टार्ट होने से उनका धुंआ निकल रहा है और बहुत सी ऊर्ज ऐसे ही व्यर्थ जा रही है। कईयों का तो इस आदत की वजह से इतना धुआ निकल जाता है कि उनका इंजन ही बैठ जाता है और फिर वे यह कहते हुए नजर आते हैं कि अब काम करने की हिम्मत ही नहीं रही। यह इसीलिए हुआ कि सारी ऊर्जा तो बार-बार रुककर स्टार्ट होने में लगा दी।

[  ] खुद को अपडेट और ऊर्जनवित रखिए

यदि इस ऊर्जा का उपयोग लगातार फील्ड में रहकर व सिस्टम में रहकर काम करने में किया होता, तो धुंआ भी नहीं निकलता व परिणाम भी कुछ और ही होते । यह तब होता है जब आप लगातार अपलाइन के सम्पर्क में या बिज़नेस एक्टिविटी में नहीं होते हैं, आपको बिज़नेस के लेटेस्ट अपडेट्स भी पता नहीं होते हैं। और फिर जब आप फील्ड में जाते हैं व वहां जाकर बिना लेटेस्ट अपडेट्स के आप टीम में जाकर कुछ बताते हैं और आपकी टीम के लोग आपसे कहते हैं कि सर, ये ऐसा नहीं है, ये तो ऐसा है; तब आपको कुछ न कुछ बहाना बनाकर अपने आपको बचाने के सिवा कुछ सूझता नहीं है। इससे टीम को आपकी बिज़नेस नॉलेज का आभास होता है। जब आप की एक्टिविटी सही या लगातार नहीं होती हैं, तो इससे बिज़नेस का ग्राफ भी कम होने लगता है और आप इसके लिए किसी और में कमी ढूंढने की कोशिश करते हैं।

[  ] Commitment पूरा जरूर करे

जब टीम ने आपसे टाइम माँगा और मीटिंग फिक्स हो गई, पर कोई इमरजेंसी होने के कारण आप जा नहीं सके; तब आपने कोई ऐसा बहाना बनाया ताकि आप उनको विश्वास दिला सकें कि मेरी मज़बूरी की वजह से ऐसा हुआ है । हो सकता है, आपकी समस्या वास्तविक हो; पर मेरे भाई, लोगों को आपकी समस्या से कोई लेना देना नहीं है, आपकी कमिटमेंट से मतलब है। खैर जो हुआ उसे सब भूल गए। अगली बार आपने टाइम दिया, तो इस बार आपके बॉस ने आपको छुट्टी नहीं दी । तीसरी बार आपकी सेहत खराब हो गई। अब लोगों को लगने लग जाएगा कि आप ना आने के बहाने ढूंढ रहे हैं।

आपके अपलाइन ने आपको किसी पुस्तक को पढ़ने के लिए बोला या किसी सेमीनार/ट्रेनिंग में आने के लिए कहा, पर आपने अपनी मजबूरी बताकर अपने आप को बचा लिया। आपने अपने आपको तो बचा लिया, पर आपने उस अपलाइन की नजरों में अपने बारे में एक छवि तैयार कर दी कि इस व्यक्ति के लिए बिज़नेस पहली प्राथमिकता नहीं है, इसकी प्राथमिकताएं तो कुछ और हैं। बात बहुत छोटी सी थी, पर उसके परिणाम कितने नुक्सान देने वाले हो सकते हैं।

[  ] बहानासाइटिस ना बने :-

जब पहली बार बहाना बनाया जाता है और आप उस बहाने की वजह से अपने आपको सही साबित भी कर जाते हो; तब पता ही नहीं होता है कि इससे आगे क्या होने वाला है। पर लगातार ऐसा करने से यह आपकी आदत का हिस्सा बन जाता है। डेविड जे श्वार्टज़ अपनी किताब * बड़ी सोच का बड़ा जादू " में इसे बहानासाइटिस की बीमारी बताते हैं। और वो कहते हैं कि यह बीमारी 4 तरह की होती है सेहत का बहानासाइटिस, बुद्धि का बहानासाइटिस, उम्र का बहानासाइटिस और किस्मत का बहानासाइटिस। बीमारी किसी भी तरह की हो, पर ये सत्य है कि यह बीमारी व्यक्ति को लक्ष्य से भटकाने में बड़ी सहायता करती है। इसलिए यदि कामयाब होना है, तो इस बहानेबाजी से बचें।

[  ] आदतों का निर्माण:-

बहाने बनाने किसे अच्छे नहीं लगते हैं, घर बैठकर टीवी देखने में किसे मज़ा नहीं आता है, बिना संघर्ष किये कामयाबी प्राप्त करना किसे अच्छा नहीं लगता है ; पर ये आदतें सफलता की ओर नहीं, असफलता की ओर ले जाती हैं। किताब पढ़ना किसे पसंद है, पूरा-पूरा दिन फील्ड में लोगों की ना सुनना किसको अच्छा लगता है, मीटिंग-सेमीनार मे  तीन घंटे बैठकर किसी के लिए ताली बजाना किसे अच्छा लगता है : ये आदतें असफलता की ओर नहीं, सफलता की ओर ले जाती हैं। दोस्तों, यही फर्क है सफल और असफल आदमी में । जो चीजें आदमी को अच्छी नहीं लगती हैं, वो उन्हें करता नहीं है; परन्तु वही चीजे  सफल आदमी को भी अच्छी नहीं लगती हैं; पर सफल आदमी ना चाहते  हुए भी उन्हें करता ही करता है। यदि इसका सारांश एक लाइन बताऊं तो यही है कि सफल लोग वो करने की आदत बना लेते हैं असफल लोगों को अच्छी नहीं लगती हैं। असा

इसलिए यदि सफलता चाहिए तो ये मत देखो, आपको अच्छा लग रहा है या नहीं । यदि समय की मांग है या सिस्टम की मांग है, तो उसे करना ही करना है, चाहे आपको अच्छा लगे या न लगे।। इस आदत की वजह से आपकी नॉलेज अपडेट रहेगी, आपकी प्रोडक्टिविटी बढ़ेगी, आपका प्रभाव बढ़ेगा, आपका काम करने में मन लगेगा, लोगों से मिलने में आनंद आएगा, फील्ड में रहने लग जाओगे और अपने बिज़नेस को गति में ले आओगे । जैसे ही बिज़नेस में गति आए, इस गति को बरकरार रखना है, अब गाड़ी के एक्सीलेटर पर पाँव जमाए रखना है, उसे बंद नहीं होने देना है । कोई न कोई जरूर आपकी गाड़ी में बैठने के लिए तैयार हो जाएगा।

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

नेटवर्क मार्केटिंग में करियर कैसे बनाए ।

Top 9 Skills in Network Marketing for Sucess

Network Marketing Me Network kaise banaye (नेटवर्क कैसे बनाये )