नेटवर्क मार्केटिंग क्या है (what is network marketing)
नेटवर्क मार्केटिंग, जिसे आमतौर पर MLM (Multi-Level Marketing) भी कहा जाता है, एक व्यापारिक मॉडल है जिसमें उत्पादों या सेवाओं की बिक्री नेटवर्क के माध्यम से होती है। इसमें संघटक सदस्यों को उत्पादों की बिक्री और नए सदस्यों को नेटवर्क में शामिल करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है।
[ ] भारत में नेटवर्क मार्केटिंग की शुरुआत विदेशी कंपनियों द्वारा 1990 के दशक में की गई। यह वक्त उस समय के आर्थिक और सामाजिक परिवेश के लिए महत्वपूर्ण था, जब भारतीय अर्थव्यवस्था खुलने की दिशा में जा रही थी और लोग नए व्यापारी मॉडल्स की खोज में थे। उस समय प्रमुख विदेशी नेटवर्क मार्केटिंग कंपनियां भारत में एंट्री करने लगीं, जैसे कि अमेरिकी कंपनियां एमवेरिक, अमवे, हरबलाइफ, और अवॉन इत्यादि।
[ ] इन कंपनियों ने अपने उत्पादों की प्रचार और बिक्री के लिए अपने सदस्यों का उपयोग किया और सदस्यों को भी इसके लिए प्रोत्साहित किया। इसका प्रमुख लाभ यह था कि यह कंपनियां अपने उत्पादों की पहुंच विस्तारित कर सकती थीं और साथ ही व्यापारियों को भी आर्थिक लाभ प्रदान कर सकती थीं।
इन कंपनियों द्वारा शुरू की गई नेटवर्क मार्केटिंग की यह प्रथा विवादों के साथ जुड़ी रही है। कुछ लोग इसे प्यार से स्वागत करते हैं और इसे अच्छा व्यवसायी मॉडल मानते हैं, जबकि दूसरे इसे प्यार से नहीं देखते ।
🔹सरकार से कानूनी मान्यता -
[ ] भारत में नेटवर्क मार्केटिंग के रूप में स्थायी कानूनी रूप से मान्यता प्राप्त करने के लिए 2016 में योजना बनाई गई है, जिसे नेटवर्क मार्केटिंग नियमन और प्रोत्साहन योजना (Direct Selling Regulation and Facilitation Bill) कहा जाता है। इस योजना का मुख्य उद्देश्य नेटवर्क मार्केटिंग कंपनियों को कानूनी माध्यम से नियमित करना, उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करना और उनके सदस्यों की सुरक्षा सुनिश्चित करना है। इस योजना का माध्यम से, सदस्यों की सुरक्षा, उत्पादों की गुणवत्ता, पुरस्कार प्रणाली, और कंपनी के व्यवसायिक प्रथाओं पर निर्देशों की पालना को सुनिश्चित किया जाएगा। FICCI और KPMG संस्थाओं की रिपोर्ट से पता चलता है कि डायरेक्ट सेलिंग में रिटेल सेल्स वर्ष 2025 तक करीब 64,500 करोड़ रुपए तक पहुंच जाएगी । और इसमें 1.8 करोड़ भारतीय को स्वरोजगार मिलेगा , जिसमे 60 % 💃💃महिलाएं होगी । डायरेक्ट सेलिंग का स्वर्णिम युग अब सुरु हो रहा हैं और नई पीढ़ी के लिए तो बहुत बड़ा अवसर है।
इस प्रकार, नेटवर्क मार्केटिंग भारत में एक चरम विवादास्पद व्यवसायी मॉडल रहा है, जिसे सरकार ने नयी योजना के माध्यम से नियमित करने का प्रयास किया ।
[ ] इन कंपनियों ने अपने उत्पादों की प्रचार और बिक्री के लिए अपने सदस्यों का उपयोग किया और सदस्यों को भी इसके लिए प्रोत्साहित किया। इसका प्रमुख लाभ यह था कि यह कंपनियां अपने उत्पादों की पहुंच विस्तारित कर सकती थीं और साथ ही व्यापारियों को भी आर्थिक लाभ प्रदान कर सकती थीं।
इन कंपनियों द्वारा शुरू की गई नेटवर्क मार्केटिंग की यह प्रथा विवादों के साथ जुड़ी रही है। कुछ लोग इसे प्यार से स्वागत करते हैं और इसे अच्छा व्यवसायी मॉडल मानते हैं, जबकि दूसरे इसे प्यार से नहीं देखते ।
🔹सरकार से कानूनी मान्यता -
[ ] भारत में नेटवर्क मार्केटिंग के रूप में स्थायी कानूनी रूप से मान्यता प्राप्त करने के लिए 2016 में योजना बनाई गई है, जिसे नेटवर्क मार्केटिंग नियमन और प्रोत्साहन योजना (Direct Selling Regulation and Facilitation Bill) कहा जाता है। इस योजना का मुख्य उद्देश्य नेटवर्क मार्केटिंग कंपनियों को कानूनी माध्यम से नियमित करना, उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करना और उनके सदस्यों की सुरक्षा सुनिश्चित करना है। इस योजना का माध्यम से, सदस्यों की सुरक्षा, उत्पादों की गुणवत्ता, पुरस्कार प्रणाली, और कंपनी के व्यवसायिक प्रथाओं पर निर्देशों की पालना को सुनिश्चित किया जाएगा। FICCI और KPMG संस्थाओं की रिपोर्ट से पता चलता है कि डायरेक्ट सेलिंग में रिटेल सेल्स वर्ष 2025 तक करीब 64,500 करोड़ रुपए तक पहुंच जाएगी । और इसमें 1.8 करोड़ भारतीय को स्वरोजगार मिलेगा , जिसमे 60 % 💃💃महिलाएं होगी । डायरेक्ट सेलिंग का स्वर्णिम युग अब सुरु हो रहा हैं और नई पीढ़ी के लिए तो बहुत बड़ा अवसर है।
इस प्रकार, नेटवर्क मार्केटिंग भारत में एक चरम विवादास्पद व्यवसायी मॉडल रहा है, जिसे सरकार ने नयी योजना के माध्यम से नियमित करने का प्रयास किया ।

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