नेटवर्क मार्केटिंग में कंपनी का चुनाव

, ,    [  ] कम्पनी के चुनाव  के लिए जरूरी मापदंड -

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डायरेक्ट सेल्लिंग में आपकी कामयाबी के लिए बहुत से फैक्टर उत्तरदायी हैं; पर उन सब में सबसे मुख्य फैक्टर है  कंपनी का चुनाव । सभी मापदंडों पर 100% सही हो कम्पनी  |
                  





आज डायरेक्ट सेल्लिंग में या डायरेक्ट सेल्लिंग के नाम पर बहुत सी कम्पनी काम कर रही हैं। यदि आपने सही कम्पनी का चुनाव कर लिया तो इस व्यवसाय में आपकी सफलता निश्चित है। अब पता कैसे चले कि कम्पनी सही है या गलत। कुछ बिंदुओं को परख कर आप अनुमान लगा सकते हो कि कम्पनी सही है या गलत।


[  ] कंपनी का इतिहास :-
सबसे पहले कम्पनी की प्रोफाइल चेक कीजिये। जिस कम्पनी के साथ आप अपना कैरियर बनाना चाहते हैं, उसका इतिहास क्या है। वो कहा रजिस्टर्ड है ,उसके मालिक कौन है , कितने समय से मार्केट में है , क्या प्लान है , प्रोडक्ट बेस है या नही, ऑफिस कहा है। वो शॉर्ट टर्म प्लान लाकर या कुछ आकर्षण दिखाकर पैसा इकट्ठा करने की योजना पर तो काम नहीं कर रही है। कहीं ऐसा तो नहीं कि किसी व्यक्ति ने या कुछ लोगों ने अपना  बिजनेस करने के लिए एक ऑफिस किराये पर लेकर एक ऐसी कम्पनी बना रखी हो, जिसका डायरेक्ट सेल्लिंग के नियम व नीतियों से तो कोई दूर तक का नाता ही नहीं है; पर लोगों को जोड़ने के लिए ये ऐसा कुछ जरूर लिखवा देते हैं जो देखने में बड़ा आकर्षक लगता है जिससे डायरेक्ट सेल्लिंग के कॉन्सेप्ट को ना जानने वाले या कम जानने वाले या लालची प्रवृति के लोग उनके साथ जरूर आ जाते हैं

ना ही तो वास्तव में ऐसी कोई कंपनी होती है  और ना इनका कोई आधार होता है। कुछ कम्पनी केवल प्लान पर ही काम करती हैं। वो हर व्यक्ति को सिर्फ प्लान, प्लान में पैसा, औरों से ज्यादा पैसा...... . इसके अलावा उनके पास बताने को कुछ होता ही नहीं है। प्रोडक्ट, सिस्टम. नियम, नीतियां - ये इनके सिलेबस से बाहर की चीजें होती हैं। यदि कुछ प्रोडक्ट होते भी हैं, तो सिर्फ नाम के ; रेट व क्वालिटी का कोई ध्यान नहीं होता है । 

कुछ कम्पनी केवल लीडर को प्रमोट करके या कुछ बड़ी  इनकम वाले लोगों को दिखा-दिखा कर अपने साथ लोगों को इकट्ठा करने का काम करती हैं । किसी दूसरी कम्पनी के किसी एचीवर को लाने में इन्हें देर नहीं लगती है। ये इसी बात का बखान करती हैं कि हमारे साथ "वो उस कंपनी का अचीवर भी आ गया और "वो" भी। इनको इस बात का बिल्कुल ख्याल नहीं होता कि जैसे ये अचीवर यहा आ गया वैसे ही यहा से कल कही और भी चला जाएगा  ।

🔹 परन्तु सिस्टम की बातें करने की बजाय लोगों को ऊपर-नीचे लगाने से ही उनका काम चलता है। लेकिन दोस्तों, यदि परमानेंट सक्सेस चाहिए, तो मैं इस प्रकार की कंपनियों में समय खराब करने की बजाय केवल सही प्रोडक्ट बेस, न्याय व नीतिसंगत कम्पनी के साथ जुड़ने की सलाह देती हूँ।

[  ] सरकारी नीतियां( Government guidelines )

इसलिए यह जरूर चेक कीजिये कि उस कम्पनी का इतिहास कैसा है, वह सरकार की गाइडलाइन के अनुरूप काम कर रही है या नहीं । उस कम्पनी के पास मैन्युफैक्चरिंग यूनिट व इंफ्रास्ट्रक्चर कैसा है, उसके पास कितने और कैसे प्रोडक्ट्स हैं, प्रोडक्ट्स डेली यूज़ के भी हैं या नहीं, प्रोडक्ट्स के रेट व क्वालिटी कैसे हैं, उन प्रोडक्ट्स के रेट मनमाने तो नहीं हैं क्योंकि कुछ कम्पनी प्रोडक्ट के रेट मनमाने रखकर डायरेक्ट सेल्लिंग के नाम पर मनी सर्कुलेशन करती हैं। कम्पनी का डिलीवरी सिस्टम कितना सुगम व मज़बूत है, यह फैक्टर भी आपके बिज़नेस के बढ़ने में बड़ा सहायक है।

[  ] कंपनी का मालिक  :-

उस कम्पनी का मालिक कैसा है, उसकी नीतियां कैसी हैं, उसकी अपने डायरेक्ट सेलर के प्रति सोच कैसी है और उसका इस इंडस्ट्री के प्रति विज़न कैसा है; ये सब जानना व समझना भी इस इंडस्ट्री में आपकी स्थाई कामयाबी में बहुत बड़ा रोल प्ले कर सकता है।

यह भी जरूर चेक कीजिये कि वह कम्पनी आपको प्रोडक्ट व प्लान के इंसेटिव के अलावा और क्या-क्या प्रलोभन देने का वायदा कर रही है और यदि वह ऐसा कर रही है तो समझ जाइये,  कुछ ना कुछ गडबड तो है।


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